रविवार, 22 दिसंबर 2013

महिलाओं की तस्‍करी का रेड अलर्ट

देश में छोटी बच्चियों से लेकर बड़ी लड़कियों को देह व्यापार के दलदल में झोंकने का गोरखधंधा जोरों पर है, वो अलग बात है कि दिल्ली जैसे कुछ बड़े शहरों में देह-व्यापर को सरकार ने कानूनी तौर पर "रेड अलर्ट" घोषित कर रखा है, लेकिन एक चौंकानी वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बड़ी उम्र की महिलाओं को तस्करी के जरिए देह व्यापार के हवाले किया जा रहा है।

मजदूर तबका लगाता है बोली
राष्ट्रीय महिला आयोग ने पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार में महिला तस्करी के मामलों पर संज्ञान लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें लड़कियों और 40-45 साल की अविवाहित महिलाओं तस्करी होती है, जिन्हें मजदूर वर्ग बोली लगाकर खरीदकर जिंदगी भर चाहरदीवारी की जंजीरों में गुलाम बनाकर रखता है, जिसमें यह औरत घर के काम करने से लेकर घर के कई मर्दो के साथ शारीरिक संबध बनाने को भी मजबूर होती है।

काम के बदले धोखा
महिला आयोग की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है इन महिलाओं और लड़कियों की गरीबी का फायदा उठाकर इन्हें काम देने की बात कहकर इनका 20-25 हजार में सौदा कर दिया जाता है, इन्हें खरीदने वाले लोग घर में कैद करके हवश का शिकार बनाते हैं, जब ये महिलाएं मौका मिलने पर पुलिस से शिकायत करती हैं, तो पुलिस भी कोई सहयोग नहीं करती है। तस्करी के चंगुल में फंसने वाली यह ज्यादातर महिलाएं अनूसूचित या जनजाति से ताल्लुक रखती हैं।


रीति-रिवाज भी जिम्मेदार
महिला आयोग ने अपनी इस रिपोर्ट में बंगाल के कई क्षेत्रों शादी की पारंपरिक रीति- रिवाजों को तस्करी के लिए जिम्मेदार बताया है, जिसमें शादी के बाद दूल्हा- दुल्हन लापता हो जाते हैं, और कई बार ऎसे मामलों में पति ही अपनी पत्नी का सौदा कर देता है। लड़की के माता-पिता गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराते हैं, लेकिन पुलिस का लचर रवैया, शेल्टर होम्स का अभाव, हेल्प लाइन नंबर के ठीक से काम नहीं करने के कारण महिला तस्करी को रोकने में बड़ी बाधा है।

सख्त कानून की मांग
देहव्यापार के लिए लड़कियों और महिलाओं की तस्करी पर शिकंजा कसने के लिए महिला आयोग ने इमॉरल ट्रैफिकिंग प्रीवेंशन एक्ट 1956 को सख्त बनाने की मांग की है, और आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में घर के बड़े सदस्यों और लड़कियों को कार्यक्रमों के जरिए भी जागरूक करने की मांग की है। जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि एससी-एसटी प्रीवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट 1989 के तहत कई मामलों में पुलिस केस भी दर्ज नहीं करती है, इससे महिला तस्करों को और बढ़ावा मिल रहा है। -एजेंसी

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