शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

सैफई का समाजवाद : अंडर द कार्पेट

देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया जिनमें से एक थे राममनोहर लोहिया। राजनीतिक अधिकारों के पक्षधर रहे डॉ. लोहिया ऐसी समाजवादी व्यवस्था चाहते थे जिसमें सभी की बराबर हिस्सेदारी रहे।
लोहिया कहते थे कि सार्वजनिक धन समेत किसी भी प्रकार की संपत्ति प्रत्येक नागरिक के लिए होनी चाहिए। वे  रिक्शे की सवारी नहीं करते थे, कहते थे एक आदमी एक आदमी को खींचे यह अमानवीय है।
कल से सोचने पर विवश कर रही हैं ये खबरें कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई में उनके पोते और सांसद तेज प्रताप सिंह के तिलक के लिए व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं ।
जब से देखा कि सैफई की शाही शादी में समाजवाद की धज्ज‍ियां उड़ाई जा रही हैं तब रहा नहीं गया लोहिया के इन कथित फॉलोअर्स के '' समाजवाद''  की आखि‍र ये कौन सी परिभाषा है।  जो कल तक प्रधानमंत्री  के सूट की कीमत पर भर भर आंसू बहा रहे थे , वे ही आज निजी समारोह पर पानी की तरह सरकारी और निजी कोष लुटा रहे हैं ।
ये राजनीति का कौन सा रूप है ? निश्च‍ित ही समाजवाद की इस परिभाषा को फिर से परिभाषित करने की जरूरत आ गई है कि जिस विरासत पर ये नेता अपना साम्राज्य स्थापित करते गये और कुनबे दर कुनबे ने पूरे के पूरे प्रदेश में अराजक राज के सारे पैमानों को तोड़ दिया,  आखिर ये समाजवाद का कौन सा रूप है ।
आज के इन समाजवादियों का शाही अंदाज़ राम मनोहर लोहिया के आख‍िर कौन से मूल्यों को महिमा मंडित किया जा रहा है ।
जी हां, मुलायम सिंह के बड़े भाई के पोते तेज प्रताप की शादी आरजेडी प्रमुख लालू यादव की सबसे छोटी लड़की राजलक्ष्मी से हो रही है जिसमें ....

अतिविशिष्ट लोगों के लिए  400 अत्याधुनिक टेंट लगाए गए हैं जो स्वि‍ट्जरलैंड से आयात किये गये हैं।
बिहार के मेहमानों के लिए ख़ासतौर पर स्विस कॉटेज वाला एक हिस्सा अलग कर दिया गया है।
1,500 लोगों के लिए सामान्य कॉटेज तैयार किए गए हैं।
1.25 लाख लोगों के लिए भोजन तैयार किया गया है और पानी के 100 टैंकर लगे हुए हैं।
इस मौके पर क़रीब 100 किस्म के व्यंजन पेश किए जा रहे हैं।
अतिविशिष्ट लोगों के लिए दिल्ली और मुंबई के पांच सितारा होटलों के खानसामा खाना तैयार कर रहे हैं।
इस तिलक समारोह के सुरक्षा इंतज़ाम में 3,000 पुलिस बल लगे हुए हैं जिनमें 12 आईपीएस रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के 30 ज़िलों के पुलिसकर्मियों को सैफ़ई बुलाया गया है।
यहां पांच सुपर एंबुलेंस और 500 सरकारी वाहन भी सेवा देने के लिए उपलब्ध हैं।
इटावा ज़िले के कई होटलों ने भी इस समारोह की वजह से बाहरी बुकिंग बंद कर दी है।

ये तो वो जानकारी है जो मीडिया के ज़रिए बाहर आ पाई है , बहुत कुछ ऐसा भी होगा जो '' अंडर द कारपेट''  होगा ।
जो भी हो राजनेताओं के मुंह लगा राजकाज का ये खून समाजवाद की नई परिभाषा गढ़ने लगा है ।

- अलकनंदा सिंह

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