शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

अंसारी साहब…शहर के कुछ बुत ख़फ़ा हैं इसलिये, चाहते हैं हम उन्हें सज़दा करें

बुद्धिमत्‍ता जब अपने ही व्‍यूह में फंस जाए और पाखंड से ओवरलैप कर दी जाए तो वही स्‍थिति हो जाती है जो आज निवर्तमान उपराष्‍ट्रपति मोहम्‍मद हामिद अंसारी की हो रही है।

''देश के मुस्लिम समुदाय में घबराहट व असुरक्षा का माहौल है'' कहकर आज से निवर्तमान उपराष्‍ट्रपति का टैग लगाकर चलने वाले हामिद अंसारी ने अपने पूरे 10 साल के राज्‍यसभा संचालन पर पानी फेर लिया। 24 घंटों में ऐसा क्‍या हुआ जो हामिद अंसारी को असुरक्षित कर गया, रिटायरमेंट फोबिया की गिरफ्त में आ चुके 80 साल की उम्र पार कर चुके अंसारी ने देश के उस माहौल पर उंगली उठाई है जो इक्‍का-दुक्‍का दुर्भाग्‍यपूर्ण घटनाओं से प्रेरित है। ज़ाहिर है वे अपनी सियासती वफादारी साबित करने पर आमादा दिखाई दे रहे हैं।

बतौर काबिलियत 01 अप्रैल 1934 को जन्‍मे मोहम्मद हामिद अंसारी ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय विदेश सेवा से एक नौकरशाह के रूप में 1961 के दौरान तब की थी जब उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया। वे आस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। बाद में उन्होंने अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, तथा ईरान में भारत के राजदूत के तौर पर काम किया, वो भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 1984 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वे मई सन 2000 से मार्च 2004 तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। 10 अगस्त 2007 को भारत के 13वें उपराष्ट्रपति चुने गये थे। 2002 के गुजरात दंगा पीड़ितों को मुआवजा दिलाने और सदभावना के लिए उनकी भूमिका के लिए भी उन्‍हें सराहा जाता है।


हामिद अंसारी ने बतौर उपराष्‍ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज़ को सेल्यूट नहीं किया
कल जब उनका विदाई समारोह हो रहा था, तब प्रधानमंत्री मोदी आदतन उनसे चुटकियां ले रहे थे, ऐसे में मुझे एक सीन याद आ रहा था, अमेरिकी राष्‍ट्रपति ओबामा के आगमन पर इन्‍हीं हामिद अंसारी ने बतौर उपराष्‍ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज़ को सेल्यूट नहीं किया। एक नहीं, ऐसे अनेक वाकये हैं जिनका कम से कम अब उनके इस ''मुस्‍लिमों के लिए असुरक्षा वाले'' बयान के बाद जवाब लिया जाना चाहिए।

10 साल तक देश का उपराष्ट्रपति रहते हुए क्‍या अंसारी साहब ये बतायेंगे कि भारत अगर मुस्‍लिमों के लिए असुरक्षित है तो-


कांग्रेस सरकार ने पूरी दुनिया से दुत्कारे हुए 50000 रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में क्यों बसाया,
कश्‍मीर राज्‍य से सभी पंडितों को किसने भगाया,
हमारे राष्‍ट्रपति कलाम साहब क्‍या मुस्‍लिम नहीं थे, क्‍या वो असुरक्षित थे इसीलिए इतने बड़े वैज्ञानिक बन गए,
भारत मुस्‍लिमों के लिए असुरक्षित है तभी तो 6 करोड़ बंग्लादेशी पिछ्ले 45 साल से यहाँ देश के संसाधनों को लूट रहे हैं, पश्चिम बंगाल, असम की जनसांख्‍यिकी तो ध्‍वस्‍त ही इन्‍होंने की,
भारत असुरक्षित है इसलिए छोटा ओवैसी यह कह पाता है की देश से 15 मिनट पुलिस हटा दो हम सब हिन्दुओं का सफाया कर देंगे,
भारत मुस्‍लिमों के लिए असुरक्षित है तभी तो जेएनयू में भारत के टुकड़े करने वाले पूरे देश के टैक्‍स पर पल रहे हैं,
भारत असुरक्षित है इसलिए लव जिहाद और धर्म परिवर्तन यहाँ सामान्य घटनाएं हैं,
भारत मुस्‍लिमों के लिए असुरक्षित है इसीलिए पाकिस्तान के झंडे और पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे कहीं भी लगाये जा सकते हैं,
मुस्‍लिमों के लिए असुरक्षा का माहौल है तभी तो दिल्‍ली के जाफराबाद, सीलमपुर और अन्य मुस्लिम इलाकों में किसी हिन्दू की जमीन खरीदने की हिम्मत नहीं होती, इन इलाकों में अघोषित धारा 370/35 लगी हुई है,

भारत मुस्‍लिमों के लिए असुरक्षित है इसीलिए 26 अगस्‍त 2015 को जारी जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में मुस्लिमों की जनसंख्या में भारी इजाफा दर्ज किया गया, यानि उनकी आबादी में 24.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी।
अजीब आंकलन है अंसारी साहब का- असुरक्षा में तो लोगों की चिंताएं बढ़ती हैं तो क्‍या चिंतित व्‍यक्‍ति बच्‍चे पैदा करने में जुट जाते हैं,

तो अंसारी साहब...

दुनिया में "मुसलमानों" को कोई भी देश अपने यहाँ नहीं आने देना चाह्ता ...
यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका में रहने वाले पाकिस्तानी, बांग्लादेश अफगानिस्तान के मुस्लिम्स खुद को वहां इंडियन बताते हैं क्यूंकि बाकी मुस्लिम्स को तो वहां आंतकवादी माना जाता है।

ये भारत है जहाँ ग्रेजुएट होने वाली मुस्‍लिम बेटियों को केंद्र सरकार 51000 रुपये बतौर शगुन देने की घोषणा करती है ताकि बच्‍चियां पढ़ सकें और देश-दुनिया का मुकाबला अपने बूते कर सकें। उन्‍हें किसी हामिद अंसारी की सलाह की जरूरत ही ना पड़े।

आप जैसे लोगों ने मुसलमानों को सभी के साथ मुसलमान की बजाय ''मुसलमान बनाम अन्‍य'' बना दिया है। तभी तो विश्‍वभर के गैर इस्लामिक लोगों में मुस्लिम के प्रति नफरत बढ़ी है लेकिन हम खुश हैं क्‍योंकि हमारे देश में अधिकांश गैर मुस्लिम अब्दुल कलाम जी को ही अपना आदर्श भी मानते हैं ।

और 24 घंटे के अंदर दो बार दिए गए इस एक बयान के बाद निश्‍चित ही आप आदर्श बनने से चूक गए हैं।
गनीमत रही कि आपकी डिप्‍लोमैटिक-सियासती सोच से आपकी पत्‍नी सलमा अंसारी अलग सोचती हैं। जब ट्रिपल तलाक पर बहस-मुबाहिसे चल रहे थे तब आपने खामोशी क्‍यों ओढ़े रखी, मगर सलमा जी ने देवबंदियों के खिलाफ जाकर कहा मुस्लिम महिलाओं को खुद क़ुरान पढ़ने और किसी के कहने पर गुमराह नहीं होने की सलाह दी थी।

मोहम्मद हामिद अंसारी ने जाते-जाते अपने व्‍यक्‍तित्व की जो आखिरी छाप देशवासियों पर छोड़ी है, वह उन्‍हें एक पाखंडी दर्शाती है। और कोई भी समाज या सरकार किसी पाखंडी को तब तक दण्डित नहीं कर सकती जब तक पाखंडी अनैतिकता का प्रदर्शन करते पकड़ा न जाए।

एक शिक्षाविद् होने के नाते अंसारी साहब ये बखूबी जानते होंगे कि पाखंडी अनैतिक आचरण वाले व्यक्ति के समान खुले तौर पर अपराध नहीं करता। वह योजनाबद्ध तरीके से इस प्रकार अपराध करता है कि उसका ऐसा आचरण आसानी से न पकड़ा जा सके। ऐसा व्यक्ति प्रायः ऐसे व्यक्तियों को अपना शिकार बनाता है जो उसके बाह्य आचरण के मोह जाल में फंसे होते हैं, ऐसे लोगों को पकड़ने के लिए जाल बिछाने की आवश्यकता होती है और यहां तो अंसारी साहब स्‍वयं को ''मुस्‍लिम हितरक्षक'' बताने के अपने पाखंड को खुद ही सरेआम कर चुके हैं।
बहरहाल, देश का मुसलमान तुष्‍टीकरण की राजनीति के दुष्‍चक्र से काफी कुछ बाहर आ चुका है, जो शेष है वह भी अपना भला-बुरा ''कांग्रेस-बीजेपी-सपा-जदयू-राजद-तृमूकां-माकपा'' आदि के अलावा भी सोच सकता है।

कल मुंबई में 1000 उलेमाओं द्वारा देश के मुसलमानों की सोच को यूएन तक भेजा गया, यह एक बानगी है हामिद अंसारी साहब, कि मुसलमान देश में असुरक्षित नहीं हैं बल्‍कि वह अपने ही ''कट्टरवाद'' से असुरक्षित हैंं, जिसे अगर आप जैसे शिक्षाविद् ''स्‍वस्‍थ-सोच'' के साथ दूर करने में  लगें तो दूर किया जा सकता है, बस 80 बरस बाद भी  सियासत करने से बाज आयें ।

अनवर जलालपुरी ने आज की इस परिस्‍थिति पर क्‍या खूब कहा है-

खुदगर्ज़ दुनिया में आखिर क्या करें
क्या इन्हीं लोगों से समझौता करें

शहर के कुछ बुत ख़फ़ा हैं इसलिये
चाहते हैं हम उन्हें सज़दा करें

चन्द बगुले खा रहे हैं मछलियाँ
झील के बेचारे मालिक क्या करें

तोहमतें आऐंगी नादिरशाह पर
आप दिल्ली रोज़ ही लूटा करें

तजरुबा एटम का हम ने कर लिया
अहलें दुनिया अब हमें देखा करें



-अलकनंदा सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें